दर्शन मित्र लेक्चर वीडियो https://m.youtube.com/watch?v=8fQsreUkNl8
Author Archives: Dr. Preeti Jain
भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें- भूमिका
भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें- भूमिका (COMMON CHARACTERISTICS OF INDIAN PHILOSOPHY- Part1 General Introduction) https://www.youtube.com/watch?v=_k2XJ8rXxRY
मिलिन्द – प्रश्न
सम्राट मीनान्डर और नागसेन का यह प्रसिद्ध संवाद सागलपुर ( वर्तमान स्यालकोट ) मे हुआ था जो उस समय सम्राट मीनान्डर की राजधानी थी । इस ग्रंथ मे राजा मिनान्डर ने भिक्खु नागसेन से अनेक ऐसे प्रशन पूछॆ है जो सीधे मनुष्य के मनोविज्ञान से संबध रखते हैं’मिलिन्द प्रशन ’ में भिक्षु नागसेन ने बुद्धContinue reading “मिलिन्द – प्रश्न”
जैन दर्शन में अहिंसा का सिद्धांत
जैन शास्त्रों में अहिंसा जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: – अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिये जो आन्दोलन चलाया वह काफी सीमा तक अहिंसात्मक था। जैन धर्म में सब जीवों के प्रति संयमपूर्ण व्यवहार अहिंसा है। अहिंसा काContinue reading “जैन दर्शन में अहिंसा का सिद्धांत”
दिनांग और धर्मकीर्ति ( बौद्ध दर्शन) के प्रत्यक्ष प्रमाण पर विचार
Ethics in Public Domain
Genetic Elective, Philosophy, LOCF, Dec 2019, Du Previous year question paper
भारतीय दर्शन में चेतना का सिद्धान्त ( Indian Theories of Consciousness)
INDIAN THEORIES OF CONSCIOUSNESS CBCS, Delhi University, B. A. (HONS.) (DISCIPLINE SPECIFIC COURSE) 6th Semester यूनिट के प्रत्येक टॉपिक को हिन्दी में पढ्ने के लिये, टॉपिक के बाद दिये लिंक पर क्लिक करें। UNIT-I 1. Kaṭhopaniṣad: Chapter. 1 Valli I, II & III; Kaṭhopaniṣad in “Ekadasepansodan”. Ed. by V. S. Sastri, Motilal Banarsidas, Delhi, 1966. कथाContinue reading “भारतीय दर्शन में चेतना का सिद्धान्त ( Indian Theories of Consciousness)”
अर्थक्रियाकारित्व
बौद्ध दर्शन अनुसार अर्थक्रियाकारित्व किसी वस्तु की सत्ता का लक्षण है ‘अर्थक्रियाकारित्व’ अर्थात् किसी कार्य को उत्पन्न करने की शक्ति अर्थात् कार्योत्पादन सामर्थ्य वर्तमान भूत से जन्य या उत्पन्न है अर्थात् भूत वर्तमान को उत्पन्न करने में शक्त या समर्थ है।बौद्धों ने सत्ता का यह लक्षण क्षणिकता की सिद्धि के लिए किया है। • ज्ञानContinue reading “अर्थक्रियाकारित्व”
धर्मकीर्ति विरचित न्याय बिन्दु
Text of Indian Philosophy, B.A. (Hons) Philosophy, 4th semester, Delhi University न्यायबिन्दु के विषय सम्यक् प्रमाण का महत्व, उसके लक्षणों का विवेचन। Audio- Preeti Jain https://drive.google.com/file/d/1QbRHgsGVACcR3FZ5q6VBjW84WM6yhT18/view?usp=drivesdk
धर्मकीर्ति विरचित न्यायबिन्दु
B.A. (Hons) Philosophy, 4th semester, DUप्रमा, प्रमाण, प्रमेय, प्रमाता, सम्यक् ज्ञान की हिन्दी में व्याख्या- प्रीति जैन https://drive.google.com/file/d/1QNGqSUaAgsbhhRN45HiM4Qfj5ZQbN3ni/view?usp=drivesdk