पाश्चात्य भाषा दर्शन को समझना हो तो लुडविग विटगेंस्टाईन की कृतियों ट्रैक्टेटस लॉजिको फिलोसफिकस, फिलोसोफीकल इनवेस्टीगेटन, ऑन सेर्टेनिटी को समझ लेना अनिवार्य हो जाता है।भारतीय मूल के हिन्दी भाषी छात्रों के लिये अगर पुस्तकों का हिन्दी रूपांतरण उपलब्ध ना हो तो उन्हें या तो सेकेंडरी सोर्स पर ही निर्भर रहना पड़ता है,या फिर अंग्रेजी में पढ़ना पड़ताContinue reading “भाषा दर्शन और लुडविग विटगेंस्टाईन”