ए.वी.कैम्प्बेल अपनी पुस्तक “बायोएथिक्स -द बेसिक्स “के छठे अध्याय ‘जस्टिस’ में सोशल जस्टिस और डिस्ट्रीब्यूटिव जस्टिस का बायोएथिक्स के संदर्भ में अवलोकन करते हैं। जहाँ सोशल जस्टिस (सामाजिक न्याय) सामाजिक कल्याण और व्यक्तिगत अधिकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करती है,वहीं डिस्ट्रीब्यूटिव जस्टिस (वितरण न्याय प्रणाली) की कोशिश समाज में लाभ और जिम्मेदारियों के निस्पक्ष बंटवारे की होती है ।यह लेख स्वास्थ्य सबंधी तथा चिकित्सा क्षेत्र में उत्पन्न नैतिक दुविधाओं का न्यायपूर्ण हल ढूँढने की कोशिश करता है।ऐसे लेख व्यक्ति को एक बार जरूर सोचने को मजबूर करते हैं और अलग -अलग परिस्थितियों से जुड़े अलग-अलग पहलुओं और दृष्टिकोणों को उजागर कर व्यक्ति के अन्दर एक सम्वेदनशीलता का संचार कर देते हैं।यह लेख बी.ए. दर्शन शास्त्र (दि. वि.),बायोएथिक्स के वर्तमान स्लेबस का हिस्सा तो नहीं है,फिर भी बायोएथिक्स के सन्दर्भ में न्याय के सिद्धांत को समझने को लिये एक तार्किक समझ बढ़ाने के लिये पढ़ने योग्य है।