प्लेटो रचित “द रिपब्लिक” एवं “द अपोलॉजी ऑफ सुकरात” दोनों ही पुस्तक दर्शन शास्त्र जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।दोनों का हिन्दी अनुवाद अब आप kindle पर पढ़ सकते हैं और amazon से मंगा भी सकते हैं। दोनों पुस्तकों की विषय -वस्तु के बारे में संक्षिप्त में:
The Republic “द रिपब्लिक”
रिपब्लिक प्लेटो द्वारा 380 ई.पू. के आसपास लिखित ग्रन्थ है। यह प्लेटो की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मानी जाती है।इसमें प्लेटो ने सुकरात की वार्ताएँ वर्णित की हैं। इन वार्ताओं में न्याय, नगर तथा न्यायप्रिय मानव की चर्चा है।प्लेटो ने राजनीति और लोकतंत्र के विषय पर लिखी इस किताब में राजनीति के कई अनछुए पहलुओं को बताया। मनुष्य और समाज का परस्पर सबन्ध को भो प्लेटो ने बेहतरीन तरीके से समझाया है। प्लेटो ने ‘रिपब्लिक’ में अलग-अलग व्यक्तियों के बीच हुए लम्बे संवादों के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि न्याय क्या है । प्लेटो कहते हैं कि मनुष्य की आत्मा के तीन मुख्य तत्त्व हैं – 1)तृष्णा (Appetite), 2) साहस (Spirit), 3) बुद्धि या ज्ञान (Wisdom)। यदि किसी व्यक्ति की आत्मा में इन सभी तत्वों को समन्वित कर दिया जाए तो वह मनुष्य न्यायी बन जाएगा। ये तीनों गुण कुछ ना कुछ मात्रा में सभी मनुष्यों में पाए जाते हैं, लेकिन प्रत्येक मनुष्य में इन तीनों गुणों में से किसी एक गुण की प्रधानता रहती है। इसलिए राज्य में इन तीन गुणों के आधार पर तीन वर्ग मिलते हैं। पहला: उत्पादक वर्ग – आर्थिक कार्य (तृष्णा), दूसरा: सैनिक वर्ग – रक्षा कार्य (साहस), तीसरा: शासक वर्ग – दार्शनिक कार्य (ज्ञान/बुद्धि)। प्लेटो के अनुसार जब सभी वर्ग अपना कार्य करेंगे तथा दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और अपना कर्तव्य निभाएंगे तब समाज व राज्य में न्याय की स्थापना होगी।
“मानव स्वभाव को तार्किक आधार पर जानने के लिए निश्चित ही प्लेटों की महान रचना” दी रिपब्लिक” एक मनन करने योग्य पुस्तक है। कुछ प्रश्न जो कि हम अपने से हमेशा पूछते रहते हैं उनका जवाब निश्चित ही केवल प्लेटों की कृति दी रिपब्लिक ही दे सकती है।
– क्या अन्याय करना पाप है?
– क्या अन्यायी व्यक्ति शक्ति संपन्न होकर भी खुश है?
इसका बेहतर और सटीक उत्तर कुछ नहीं हो सकता कि उससे यह प्रश्न तब किया जाए जब वह गुलामों के साथ जंगल में अकेले हो या मृत्यु के करीब हो।
– हमारे राज्य के शासक के कर्तव्य होने चाहिए? उसके दायित्व क्या हैं और कैसे व्यक्ति को राज्य का शासक होना चाहिए ?
– क्या होता है जब पात्र शासन करने से बचें या अपात्र शासन करें?
– अल्पतंत्र से गणतंत्र व उससे निरंकुश शासक का उदय कैसे होता है?
– क्या कमियाँ व कारण होते हैं जो कि गणतंत्र के अस्तित्व को समाप्त कर उसे निरंकुश शासक में हाथों में सौंप देते हैं?
– हमारे पारिवारिक दायित्व कैसे होने चाहिए?
– कैसे एक परिवार का संचालन होना चाहिए?
– क्या कारण होते हैं जो हमारे बच्चों को माता-पिता व राज्य के प्रति विद्रोही बनाते हैं?
– किसी राष्ट्र और उसके नागरिकों में क्या समानता है?
– कैसे उस राष्ट्र का चरित्र उसके नागरिकों के चरित्र को प्रदर्शित करता है?
– क्या गलत उपचार करने वाला चिकित्सक, जहाज का उचित नेतृत्व न करने वाला जहाजरान या राष्ट्र पर अनुचित तरीके से शासन करने वाला उसका शासक हो सकता है?
इन प्रश्नों के उत्तर केवल यही पुस्तक हमें दे सकती है।
यह पुस्तक मानव स्वभाव, उसके कर्तव्य व उसका किसी राष्ट्र के चरित्र पर क्या प्रभाव होता है की सर्वोत्तम प्रस्तुति है। “
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Plato’s Apology “द अपोलॉजी ऑफ सुकरात”
प्लेटो ने “द अपोलॉजी ऑफ सुकरात” नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में प्लेटो ने अपने गुरु सुकरात के बारे में लिखा। इसमें उनके गुरु के विचार और दर्शन शामिल है।
“अपोलॉजी” सुक़रात कि न्यायालय में की गई उस बहस की प्रस्तुति है, जिसमें उन्होंने अपने पक्ष को रखा, जब उन पर यह आरोप लगाया गया था की वे राज्य के युवाओं को भ्रष्ट कर रहें है और वे ईश्वर पर विश्वास नहीं करते अपितु किसी और में विश्वास करते हैं।अपोलॉजी से यहाँ मतलब माफिनामे से नहीं है वरन सुकरात का अपने किये गये कार्य का बचाव और पक्ष का प्रस्तुतिकरण है।अपोलॉजी का प्रारम्भिक अर्थ है कारण से बचाव या किसी का अपने कृत्यों या मत में विश्वास। यह प्लेटों द्वार विस्तार से लिपिबद्ध की गई रचना है जो काफी हद तक वास्तव में किए गए बेहतरीन संवादों (बहस) में से एक है।”
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