B.A.(H) Philosophy, 3rd semester, B.A(P) phil Discipline, 6th semester SEC- Critical Thinking, Delhi University
Topic : Cognitive Biases ( संज्ञात्मक पूर्वाग्रह)
स्थिति 1
अगर हमें या हमारे समूह के किसी व्यक्ति को सफ़लता मिलती है,तो हम इसे कठिन परिश्रम का परिणाम मानते हैं ।वहीं अगर किसी दूसरे व्यक्ति या अन्य समूह से सम्बंधित व्यक्ति को सफ़लता मिलती है तो हम इसे मेहनत का नाम ना देकर उनके सौभाग्य का परिणाम मानते हैं ।वहीं अपनी असफलता का दोष भाग्य पर डाल देते है और दूसरे की असफलता का कारण उसके आलस और परिश्रम ना करना मानते हैं।
स्थिति 2
आप कहीं खड़े हैं, तभी एक व्यक्ति वहाँ आता है और ऊँची आवाज में सभी व्यक्तियों को जमीन पर लेट जाने के लिये कहता है।वह यही बात जोर-जोर से कई बार दोहराता है।अधिकतर लोग और शायद आप भी उसकी बात मानकर जमीन पर लेट जायेंगें ।
स्थिति 3
आपकी कक्षा में कोई प्रश्न पुछा गया। आपका उत्तर À है और कक्षा के अन्य सभी छात्रों का उत्तर B है।आपका मन हो ना हो संदेह की स्थिति में जरूर आ जायेगा कि आपका उत्तर गलत है। यह भी हो सकता है कि आप उसी विकल्प का चुनाव कर लें जो बाकियों ने चुना है, क्योंकि odd one out कि स्थिति में कौन पड़ना चाहता है!
क्या आपको तीनों स्थितियों में व्यक्ति का निर्णय पूरी तरह उसके नियन्त्रण में नज़र आता है? या आप मानेंगे की हमारा मस्तिष्क एक विशेष प्रकार से काम करने को बाधित नज़र आता है?
धारणाओं को बनाने में जितना तथ्यों का हाथ होता है उतना ही व्यक्ति की मनोस्थिति व संवेदनाओं का भी रहता है।मनुष्य का मस्तिष्क प्रति सेकंड 160क्रियाओं को पूरा कर सकता है,जो इसे किसी भी कम्प्युटर या मशीन से बेहतर बनाता है।लेकिन इस मस्तिष्क में कई कमियां हैं।इन्हीं में से एक है -संज्ञात्मक पूर्वाग्रह या अंग्रेजी में जिसे कहते हैं cognitive bias। ये एक तरह का दिमागी पक्षपात है ,जो हमें चेतना और सूझ- बूझ से परे कर देता है और हम सिर्फ अपनी धारणाओं के आधार पर फ़ैसला लेते हैं। शेयर किये गये तीन पेजों में ऐसे 11संज्ञात्मक पूर्वाग्रहों को इंगित किया गया है।
