यह पुस्तक मेरी सहकर्मी और मित्र मोनिका शिवहरे ने बी•ए• के SEC पेपर ‘योग फिलोसोफी ‘के स्लेबस को ध्यान में रखते हुए लिखी है।लेखिका ने पुस्तक में योग से जुड़े अनेक विचारों और पहलुओं को गहरायी के साथ सारगर्भित तरीके से सामने रखा है। पुस्तक की लम्बाई (पेज़ संख्या) सीमित होने से विद्यार्थियों के लिये इसे एक समय सीमा में पुरा पढ़ जाना भी आसान है। लेखिका के शब्दों में कहुँ तो इस पुस्तक क एक द्वित्तीय लक्ष्य योगाभ्यास के एकमात्र उद्देश्य ‘आत्मानुभूति ‘को स्पष्ट करना भी है।
